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Millets in Hindi: मिलेट्स के विभिन्न प्रकार और उनके फायदे

Types of Millets

Millets in Hindi: वर्तमान युग में जहां फास्ट फूड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की बाढ़ आई हुई है, वहीं हमारी पारंपरिक भारतीय खाद्य संस्कृति में छिपे पोषक तत्वों की ओर वापस लौटने की आवश्यकता तेजी से महसूस की जा रही है। इस संदर्भ में, मोटे अनाज विशेषकर मिलेट्स एक वरदान के रूप में उभर रहे हैं।

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष’ घोषित किया जाना इस बात का प्रमाण है कि हमारी सदियों पुरानी खाद्य संपदा आज पुनः विश्व के खाद्य मानचित्र पर अपना महत्वपूर्ण स्थान बना रही है। आइए जानें इन पौष्टिक अनाजों के बारे में विस्तार से, जो न केवल हमारे शरीर को पोषण देते हैं बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा का भी अनिवार्य हिस्सा रहे हैं।

What are Millets? ( मिलेट्स क्या हैं? )

मिलेट्स (millets) या मोटे अनाज हमारी प्राचीन कृषि परंपरा का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। ये छोटे-छोटे दाने प्रकृति का एक अनमोल उपहार हैं, जो पोषण का खजाना समेटे हुए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में इनकी विविधता देखने को मिलती है, जो हमारी खाद्य संस्कृति की समृद्धि को दर्शाती है।

मिलेट्स की विशेषताएँ:

  • प्राचीन अनाज: लगभग 7000 वर्ष पुरानी कृषि परंपरा का हिस्सा
  • कम पानी में खेती: बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता (गेहूं और चावल की तुलना में 70% कम पानी)
  • मौसम प्रतिरोधी: सूखा, गर्मी और कम उपजाऊ मिट्टी में भी उगाए जा सकते हैं
  • कीटनाशक मुक्त: अधिकांश मिलेट्स बिना रासायनिक कीटनाशकों के स्वाभाविक रूप से उगाए जाते हैं
  • पारिस्थितिक अनुकूल: भूमि के क्षरण को रोकते हैं और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं

Nutritional value of Millets ( मिलेट्स का पोषण मूल्य )

मिलेट्स अपने उच्च पोषण मूल्य के लिए जाने जाते हैं। आधुनिक पोषण विज्ञान भी इन्हें ‘सुपरफूड’ की श्रेणी में रखता है। यहां एक विस्तृत नज़र डालते हैं कि इन अनाजों में क्या-क्या पोषक तत्व पाए जाते हैं:

पोषक तत्वमात्रा (प्रति 100 ग्राम)तुलना (गेहूं/चावल से)
प्रोटीन7-12%1.5-2 गुना अधिक
कार्बोहाइड्रेट60-70%समान परंतु कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स
आहारीय फाइबर15-20%2-3 गुना अधिक
वसा1.5-5%उच्च पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड
खनिज
लौहा2-10 मिलीग्राम2-5 गुना अधिक
कैल्शियम20-350 मिलीग्रामरागी में सबसे अधिक (गाय के दूध से 3 गुना)
जिंक1.5-3 मिलीग्राम1.5 गुना अधिक
मैग्नीशियम90-150 मिलीग्राम2 गुना अधिक
फास्फोरस160-250 मिलीग्रामसमान
विटामिन
बी कॉम्प्लेक्सउच्च मात्राफोलेट और थायमिन प्रचुर मात्रा में
विटामिन ई0.3-0.8 मिलीग्राम2-3 गुना अधिक
एंटीऑक्सीडेंट्सउच्च मात्राफेनॉलिक योगिक, फ्लेवोनोइड प्रचुर
फाइटोकेमिकल्सविविध प्रकारसेहत के लिए लाभदायक

विशेष पोषण लाभ:

  • ग्लूटेन मुक्त: सीलिएक रोग और ग्लूटेन संवेदनशीलता वाले लोगों के लिए सुरक्षित विकल्प
  • कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स: रक्त शर्करा के स्तर को धीरे-धीरे बढ़ाता है, मधुमेह रोगियों के लिए अनुकूल
  • प्रीबायोटिक गुण: आंतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: शरीर में सूजन को कम करता है और पुरानी बीमारियों से बचाता है

List of Types of Millets in Hindi

  • Pearl Millet – बाजरा (Bajra)
  • Finger Millet – रागी (Ragi)
  • Foxtail Millet – कंगनी (Kangni)
  • Barnyard Millet – सामवा (Samwa)
  • Little Millet – कुटकी (Kutki)
  • Kodo Millet – कोद्र (Kodra)
  • Proso Millet – चेना (Chena)
  • Browntop Millet – अंडुआ (Andua)
  • Sorghum Millet – ज्वार (Jowar)
  • Japanese Millet – जपानी बाजरा (Japni Bajra)
  • Italian Millet – इटालियन मिलेट (Italian Millet)

Types of Millets ( मिलेट्स के प्रकार )

1. बाजरा (Pearl Millet)

बाजरा भारत में सबसे अधिक उगाया जाने वाला मिलेट है। यह सूखा प्रतिरोधी फसल है जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। इसमें प्रोटीन, लोहा, जिंक और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। गर्मियों में इसका सेवन शरीर को ठंडक प्रदान करता है। बाजरे की रोटी, खिचड़ी और लप्सी विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। यह पशुओं के लिए चारे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

प्रांतीय नाम:

  • राजस्थान, हरियाणा: बाजरा
  • गुजरात: बाजरी
  • महाराष्ट्र: बाजरी
  • तमिलनाडु: कम्बू
  • कर्नाटक: सज्जे
  • आंध्र प्रदेश: सज्जालु
  • पश्चिम बंगाल: बाजरा

विशेषताएँ और उपयोग: बाजरा भारत में सबसे अधिक उगाया जाने वाला मिलेट है। यह सूखा प्रतिरोधी फसल है जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • राजस्थान: बाजरे की रोटी (रोटला) के साथ लहसुन की चटनी
  • गुजरात: बाजरे का रोटला और लीलवा काचरी की सब्जी
  • हरियाणा: बाजरे की खिचड़ी और रबड़ी
  • महाराष्ट्र: बाजरा भाकरी के साथ ठेचा (तीखी चटनी)
  • तमिलनाडु: कम्बू कूझ (बाजरे का दलिया)

आयुर्वेदिक महत्व: आयुर्वेद में बाजरे को ‘वात दोष’ को संतुलित करने वाला माना गया है। गर्मियों में इसका सेवन शरीर को ठंडक प्रदान करता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम बाजरे में लगभग:

  • प्रोटीन: 11-12 ग्राम
  • फाइबर: 11-12 ग्राम
  • लोहा: 8 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 42 मिलीग्राम
  • मैग्नीशियम: 137 मिलीग्राम

2. रागी (Finger Millet)

रागी को मंडुआ या नाचनी के नाम से भी जाना जाता है। यह कैल्शियम का सर्वश्रेष्ठ स्रोत माना जाता है। दक्षिण भारत में इसका व्यापक उपयोग होता है। रागी में प्रोटीन, आयरन और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। इससे रोटी, इडली, डोसा और मिठाई बनाई जाती है।

प्रांतीय नाम:

  • उत्तराखंड, हिमाचल: मंडुआ
  • महाराष्ट्र: नाचणी
  • तमिलनाडु: केझवरगु
  • कर्नाटक: रागी
  • केरल: कुट्टु
  • आंध्र प्रदेश: रागुलु
  • ओडिशा: मांडिया

विशेषताएँ और उपयोग: रागी कैल्शियम का सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक स्रोत माना जाता है। दक्षिण भारत और पहाड़ी राज्यों में इसका व्यापक उपयोग होता है। रागी में प्रोटीन, आयरन और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • कर्नाटक: रागी मुद्दे (रागी गोले) के साथ बसार (सांबर)
  • तमिलनाडु: केझवरगु कूझ (रागी का दलिया)
  • महाराष्ट्र: नाचणी अंबील (सुबह का नाश्ता)
  • उत्तराखंड: मंडुए की रोटी के साथ भंग की चटनी
  • आंध्र प्रदेश: रागुलु संकाटी (रागी मुद्दे)

आयुर्वेदिक महत्व: रागी को आयुर्वेद में ‘त्रिदोष शामक’ माना गया है, जो तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम रागी में लगभग:

  • प्रोटीन: 7-8 ग्राम
  • फाइबर: 15-20 ग्राम
  • लोहा: 3.9 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 344 मिलीग्राम
  • मैग्नीशियम: 137 मिलीग्राम

3. ज्वार (Sorghum Millet)

ज्वार भारत का तीसरा प्रमुख अनाज है। यह एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर का अच्छा स्रोत है। ग्लूटेन फ्री होने के कारण सीलिएक रोग के मरीजों के लिए उपयुक्त है। इससे रोटी, भाकरी और लापसी बनाई जाती है। इसकी खेती कम पानी में भी की जा सकती है और यह पोषण का अच्छा स्रोत है।

प्रांतीय नाम:

  • महाराष्ट्र, गुजरात: जुवार
  • तमिलनाडु: चोलम
  • कर्नाटक: जोला
  • आंध्र प्रदेश: जोन्नालु
  • बिहार, उत्तर प्रदेश: जौंधरा
  • मध्य प्रदेश: ज्वार

विशेषताएँ और उपयोग: ज्वार भारत का तीसरा प्रमुख अनाज है। यह एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर का अच्छा स्रोत है। ग्लूटेन मुक्त होने के कारण सीलिएक रोग के मरीजों के लिए उपयुक्त है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • महाराष्ट्र: जुवारी की भाकरी और पीठला
  • गुजरात: रोटला और कढ़ी
  • राजस्थान: ज्वार की रोटी और लहसुन की चटनी
  • आंध्र प्रदेश: जोन्नालु रोट्टे (ज्वार की रोटी)
  • मध्य प्रदेश: ज्वार की खिचड़ी

आयुर्वेदिक महत्व: ज्वार को ‘अग्नि दीपक’ (पाचन अग्नि को प्रज्वलित करने वाला) माना जाता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम ज्वार में लगभग:

  • प्रोटीन: 10-11 ग्राम
  • फाइबर: 6-7 ग्राम
  • लोहा: 4.4 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 28 मिलीग्राम
  • थियामिन: 0.24 मिलीग्राम

4. कोदो (Kodo Millet)

कोदो मिलेट आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित है। यह कम कैलोरी वाला अनाज है जो वजन घटाने में मदद करता है। इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो पाचन को बेहतर बनाती है। कोदो से रोटी, खीर और पुलाव बनाया जाता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।

प्रांतीय नाम:

  • मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र: कोदरा
  • तमिलनाडु: वरगु
  • बिहार: कोदन
  • हिमाचल प्रदेश: कोदा
  • छत्तीसगढ़: कोदो
  • उत्तराखंड: कोद्रा
  • पश्चिम बंगाल: कोदो

विशेषताएँ और उपयोग: कोदो मिलेट आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित है। यह कम कैलोरी वाला अनाज है जो वजन घटाने में मदद करता है। इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो पाचन को बेहतर बनाती है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • मध्य प्रदेश: कोदरा की खिचड़ी
  • छत्तीसगढ़: कोदो के लड्डू
  • महाराष्ट्र: कोदरा भात (कोदो चावल)
  • तमिलनाडु: वरगु काञ्जी (कोदो का दलिया)
  • बिहार: कोदन की रोटी

आयुर्वेदिक महत्व: कोदो को ‘लघु’ (हल्का) और ‘ग्राही’ (आंतों के लिए हितकारी) माना जाता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम कोदो में लगभग:

  • प्रोटीन: 8-9 ग्राम
  • फाइबर: 9 ग्राम
  • लोहा: 2.7 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 35 मिलीग्राम
  • विटामिन बी3: 2 मिलीग्राम

5. सावां (Barnyard Millet)

सावां में फाइबर और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और वजन नियंत्रण में सहायक है। इससे खिचड़ी, पुलाव और डोसा बनाए जाते हैं। यह भूख को लंबे समय तक नियंत्रित रखता है और ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।

प्रांतीय नाम:

  • उत्तराखंड: झंगोरा
  • तमिलनाडु: कुदिरैवाली
  • मध्य प्रदेश: सांवा
  • बिहार: सावां
  • आंध्र प्रदेश: उदालु
  • महाराष्ट्र: भगर/वरैही
  • उत्तर प्रदेश: सांवक

विशेषताएँ और उपयोग: सावां में फाइबर और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और वजन नियंत्रण में सहायक है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • उत्तराखंड: झंगोरे की खीर (व्रत के लिए)
  • तमिलनाडु: कुदिरैवाली पोंगल
  • मध्य प्रदेश: सांवा के परांठे
  • महाराष्ट्र: वरैही भात (नवरात्रि विशेष)
  • उत्तर प्रदेश: सांवक की खिचड़ी

आयुर्वेदिक महत्व: आयुर्वेद में इसे ‘शीघ्र पाकी’ (जल्दी पचने वाला) और ‘बलवर्धक’ (शक्तिवर्धक) माना गया है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम सावां में लगभग:

  • प्रोटीन: 6-7 ग्राम
  • फाइबर: 9-10 ग्राम
  • लोहा: 2.8 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 20 मिलीग्राम
  • फास्फोरस: 280 मिलीग्राम

6. कंगनी (Foxtail Millet)

कंगनी प्रोटीन और मिनरल्स से भरपूर होती है। इसमें विटामिन बी12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह पाचन में सहायक है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करती है। इससे रोटी, इडली और उपमा बनाया जाता है। यह त्वचा और बालों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।

प्रांतीय नाम:

  • तमिलनाडु: तिनई
  • कर्नाटक: नवणे
  • आंध्र प्रदेश: कोरालु
  • महाराष्ट्र: कांगणी/राला
  • हिमाचल प्रदेश: कांगणी
  • मध्य प्रदेश: कांगनी
  • गुजरात: कंग

विशेषताएँ और उपयोग: कंगनी प्रोटीन और मिनरल्स से भरपूर होती है। इसमें विटामिन बी12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह पाचन में सहायक है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करती है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • तमिलनाडु: तिनई पायसम (खीर)
  • कर्नाटक: नवणे बिसिबेले बात
  • आंध्र प्रदेश: कोरालु उंडरालु (लड्डू)
  • गुजरात: कंग नी खिचड़ी
  • महाराष्ट्र: राला की भाकरी

आयुर्वेदिक महत्व: कंगनी को ‘मधुर’ (मीठा) और ‘पित्त शामक’ (पित्त दोष को शांत करने वाला) माना जाता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम कंगनी में लगभग:

  • प्रोटीन: 12 ग्राम
  • फाइबर: 8 ग्राम
  • लोहा: 2.8 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 31 मिलीग्राम
  • मैग्नीशियम: 81 मिलीग्राम

7. चेना/चीना (Proso Millet)

चीना में प्रोटीन और एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा अधिक होती है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है। इससे खीर, पुलाव और हलवा बनाया जाता है। यह ग्लूटेन फ्री होता है और एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए सुरक्षित है।

प्रांतीय नाम:

  • बिहार, झारखंड: चेना
  • पंजाब: चीना
  • तमिलनाडु: पणिवरगु
  • आंध्र प्रदेश: वारिगालु
  • महाराष्ट्र: वरी
  • गुजरात: चीना
  • उत्तर प्रदेश: चीना/बरी

विशेषताएँ और उपयोग: चीना में प्रोटीन और एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा अधिक होती है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • बिहार: चेना की रोटी और दही
  • महाराष्ट्र: वरी भात (व्रत विशेष)
  • गुजरात: चीना नी खिचड़ी
  • तमिलनाडु: पणिवरगु अदई (पैनकेक)
  • पंजाब: चीना की खीर

आयुर्वेदिक महत्व: चीना को ‘शीतवीर्य’ (शरीर को ठंडक पहुंचाने वाला) माना जाता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम चीना में लगभग:

  • प्रोटीन: 12 ग्राम
  • फाइबर: 7 ग्राम
  • लोहा: 3 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 14 मिलीग्राम
  • मैग्नीशियम: 114 मिलीग्राम

8. कुट्की (Little Millet)

कुट्की में आयरन और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह पाचन को बेहतर बनाता है और वजन नियंत्रण में मदद करता है। इससे खिचड़ी, दलिया और पुलाव बनाया जाता है। यह एनीमिया से बचाव में सहायक है और ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।

प्रांतीय नाम:

  • मध्य प्रदेश: कुटकी
  • तमिलनाडु: सामई
  • कर्नाटक: सामे
  • आंध्र प्रदेश: सामालु
  • महाराष्ट्र: शामा
  • ओडिशा: साउं
  • छत्तीसगढ़: कुटकी

विशेषताएँ और उपयोग: कुटकी में आयरन और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह पाचन को बेहतर बनाता है और वजन नियंत्रण में मदद करता है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • मध्य प्रदेश: कुटकी की खिचड़ी
  • तमिलनाडु: सामई उप्मा
  • कर्नाटक: सामे बिसिबेले बात
  • छत्तीसगढ़: कुटकी के परांठे
  • ओडिशा: साउं पेज (दलिया)

आयुर्वेदिक महत्व: कुटकी को ‘वात-पित्त शामक’ (वात और पित्त दोष को संतुलित करने वाला) माना जाता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम कुटकी में लगभग:

  • प्रोटीन: 7.7 ग्राम
  • फाइबर: 7.6 ग्राम
  • लोहा: 9.3 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 17 मिलीग्राम
  • जिंक: 3.7 मिलीग्राम

9. झंगोरा (Browntop Millet)

झंगोरा मिलेट में मैग्नीशियम और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे रोटी, खीर और लड्डू बनाए जाते हैं। यह पाचन को बेहतर बनाता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

प्रांतीय नाम:

  • कर्नाटक: कोरले
  • आंध्र प्रदेश: अंडाप्पल्ली
  • तमिलनाडु: पूलवरगु
  • महाराष्ट्र: बावटो
  • मध्य प्रदेश: अंडुआ
  • छत्तीसगढ़: झंगोरा
  • उत्तराखंड: झंगोरा

विशेषताएँ और उपयोग: झंगोरा मिलेट में मैग्नीशियम और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • उत्तराखंड: झंगोरे की खीर
  • आंध्र प्रदेश: अंडप्पल्ली उप्मा
  • कर्नाटक: कोरले हिट्टु (झंगोरा आटा) के लड्डू
  • तमिलनाडु: पूलवरगु दोसा
  • मध्य प्रदेश: अंडुआ की रोटी

आयुर्वेदिक महत्व: इसे ‘त्रिदोष संतुलक’ (तीनों दोषों को संतुलित करने वाला) माना जाता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम झंगोरा में लगभग:

  • प्रोटीन: 6.2 ग्राम
  • फाइबर: 12.5 ग्राम
  • लोहा: 5 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 34 मिलीग्राम
  • मैग्नीशियम: 133 मिलीग्राम

10. अमरंथ/राजगिरा (Pseudo-Millet)

हालांकि तकनीकी रूप से अमरंथ एक स्यूडो-सीरियल है, इसे अक्सर मिलेट्स के साथ वर्गीकृत किया जाता है। यह प्रोटीन और कैल्शियम का उत्कृष्ट स्रोत है। इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड पाए जाते हैं। इससे लड्डू, पूरी और पंजीरी बनाई जाती है। यह उच्च पोषण मूल्य के कारण ‘सुपरफूड’ माना जाता है।

प्रांतीय नाम:

  • उत्तर भारत: राजगिरा/रामदाना
  • महाराष्ट्र: राजगीरा
  • गुजरात: राजगरो
  • बंगाल: मरीशा
  • हिमाचल प्रदेश: चौलाई
  • कर्नाटक: राजगिरा दाना
  • तमिलनाडु: तंदकीरै विधै

विशेषताएँ और उपयोग: हालांकि तकनीकी रूप से अमरंथ एक स्यूडो-सीरियल (छद्म अनाज) है, इसे अक्सर मिलेट्स के साथ वर्गीकृत किया जाता है। यह प्रोटीन और कैल्शियम का उत्कृष्ट स्रोत है।

पारंपरिक व्यंजन:

  • उत्तर भारत: राजगिरे के लड्डू (व्रत विशेष)
  • महाराष्ट्र: राजगिरा की पूरी और शीरा (नवरात्रि व्यंजन)
  • गुजरात: राजगरा नी पूरी और शीरो
  • पंजाब: राजगिरा हलवा
  • बंगाल: मरीशा पोली

आयुर्वेदिक महत्व: राजगिरा को ‘स्निग्ध’ (चिकनाईयुक्त) और ‘मेध्य’ (बुद्धिवर्धक) माना जाता है।

पौष्टिकता: 100 ग्राम राजगिरा में लगभग:

  • प्रोटीन: 14-16 ग्राम
  • फाइबर: 7 ग्राम
  • लोहा: 9 मिलीग्राम
  • कैल्शियम: 159 मिलीग्राम
  • मैग्नीशियम: 248 मिलीग्राम
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हिंदी में मिलेट्स की पूर्ण तालिका (Complete Table of Millets in Hindi)

निम्न तालिका में मिलेट्स के अंग्रेजी नाम, हिंदी नाम और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में नाम दिए गए हैं:

अंग्रेजी नामहिंदी नामसंस्कृत नामतमिलतेलुगुकन्नड़मलयालमबंगालीमराठीगुजराती
Pearl Milletबाजरावज्राणुम्कम्बूसज्जालुसज्जेकम्बमबाजराबाजरीबाजरी
Finger Milletरागी/ मंडुआराजिकाकेझवरगुरागुलुरागीकूतरामारुआनाचणीबावटो
Sorghumज्वारयवनालचोलमजोन्नालुजोलाचोलमजोआरजुवारजुवार
Kodo Milletकोदोकोद्रववरगुअरिका/ अरकलुहरकाकोदरवाकोदोकोदराकोदरा
Barnyard Milletसांवा/ झंगोराश्यामाककुदिरैवालीउदलुउदहलुकुवाड़ाशामावरईवारी
Foxtail Milletकांगनीप्रियंगुतिनईकोर्रालुनवणेथिनाकाउनकांगणीकंग
Proso Milletचेना/चीनाचेणपुवपणिवरगुवारिगालुबरगापणिपुलुचिनावरीचीना
Little Milletकुटकीप्रियंगुसामईसामालुसामेचामाकाउनसावमोरियो
Browntop Milletझंगोरा/ अंडुआअन्दुआपूलवरगुअंडापल्लीकोरलेपूलवरगुशामाबावटोबावटो
Amaranthराजगिरा/ रामदानामर्षिकातंदक्कीरै विथैतोटकुररजगिराचेरा विथमरीशाराजगिराराजगरो

Hindi Names of Millets – Millets in Hindi

Millets Name in EnglishMillets Name in Hindi
Pearl Milletबाजरा (Bajra)
Finger Milletरागी (Ragi)
Foxtail Milletकंगनी (Kangni)
Barnyard Milletसामवा (Samwa)
Little Milletकुटकी (Kutki)
Kodo Milletकोद्र (Kodra)
Proso Milletचेना (Chena)
Browntop Milletअंडुआ (Andua)
Sorghum Milletज्वार (Jowar)
Japanese Milletजपानी बाजरा (Japni Bajra)
Italian Milletइटालियन मिलेट (Italian Millet)

Health Benefits of Millets ( मिलेट्स के स्वास्थ्य लाभ )

1. मधुमेह नियंत्रण में सहायक ( Helpful in Controlling Diabetes)

मिलेट्स में मौजूद जटिल कार्बोहाइड्रेट्स और उच्च फाइबर की मात्रा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इनका कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण रक्त में शर्करा का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है, जो मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। नियमित मिलेट्स के सेवन से इंसुलिन की संवेदनशीलता में भी सुधार होता है, जो टाइप-2 मधुमेह के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

2. हृदय स्वास्थ्य का संरक्षण ( Protect Heart Health )

मिलेट्स में मौजूद मैग्नीशियम और पॉटेशियम जैसे खनिज रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इनमें पाए जाने वाले फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करने में सहायक होते हैं, जबकि अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) के स्तर को बनाए रखते हैं। यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. वजन प्रबंधन में प्रभावी ( Effective in Weight Management )

मिलेट्स में उच्च मात्रा में फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है, जो लंबे समय तक पेट भरा महसूस कराता है। इससे भूख कम लगती है और अतिरिक्त कैलोरी सेवन पर नियंत्रण रहता है। साथ ही, इनमें कम कैलोरी और कम वसा होती है, जो स्वस्थ वजन प्रबंधन में मदद करती है। नियमित सेवन से मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है।

4. पाचन स्वास्थ्य में सुधार ( Improve Digestive Health )

मिलेट्स में मौजूद घुलनशील और अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देता है, कब्ज की समस्या को दूर करता है, और पाचन क्रिया को नियमित रखता है। इससे पेट संबंधी विकारों से बचाव होता है और पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है।

5. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना ( Strengthening the Immune System )

मिलेट्स में विटामिन ई, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, जिंक और सेलेनियम जैसे पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। एंटीऑक्सिडेंट्स की उपस्थिति मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।

6. हड्डियों और दांतों का स्वास्थ्य ( Bone and Teeth Health )

मिलेट्स, विशेष रूप से रागी, कैल्शियम का उत्कृष्ट स्रोत है। इसमें फॉस्फोरस भी पाया जाता है, जो हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। नियमित सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है और दांतों की मजबूती बनी रहती है।

7. एनीमिया से बचाव ( Prevention of Anemia )

मिलेट्स में लोहे की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जो एनीमिया से बचाव में मदद करती है। इसमें विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स भी होता है, जो लोहे के अवशोषण को बढ़ाता है। यह विशेष रूप से महिलाओं और किशोरों में होने वाली लोहे की कमी को दूर करने में सहायक है।

8. एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण ( Anti-Inflammatory Properties )

मिलेट्स में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह गठिया और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक होते हैं। नियमित सेवन से क्रोनिक इन्फ्लेमेशन को कम किया जा सकता है।

9. त्वचा और बालों का स्वास्थ्य ( Skin and Hair Health )

मिलेट्स में मौजूद प्रोटीन, विटामिन ई और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स त्वचा और बालों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में सहायक होते हैं, साथ ही बालों की मजबूती और विकास में भी योगदान करते हैं। इनमें मौजूद खनिज बालों को झड़ने से बचाते हैं।

10. मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ( Improve Mental Health )

मिलेट्स में पाए जाने वाले ट्रिप्टोफैन और अन्य अमीनो एसिड मस्तिष्क में सेरोटोनिन के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं, जो मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसमें मौजूद विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स तनाव को कम करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में सहायक होता है। नियमित सेवन से मानसिक स्वास्थ्य में समग्र सुधार होता है।

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Conclusion ( निष्कर्षण )

आधुनिक जीवनशैली में मिलेट्स का समावेश हमारे स्वास्थ्य को एक नई दिशा दे सकता है। यह न केवल हमारी पारंपरिक खाद्य विरासत को संजोने में मदद करेगा, बल्कि एक स्वस्थ भविष्य की नींव भी रखेगा। आइए, अपने दैनिक भोजन में इन पौष्टिक अनाजों को शामिल करें और स्वस्थ जीवन का आनंद लें।

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